क्यों? जीत का ऐसा जश्न
क्यों? मनाया गया जीत का ऐसा जश्न,
जिसमें अनुत्तरित ही रह गए सारे प्रश्न।
चैंपियन को देखने खूब भीड जमा हुई,
स्टेडियम के बाहर जो भगदड़ मच गई।
35 हजार क्षमता लाखों को लेकर गईं,
जीत के जुनून में बेवजह दर्द से नहाई।
क्यों? मनाया गया जीत का ऐसा जश्न,
जिसमें अनुत्तरित ही रह गए सारे प्रश्न।
लगे जीत के नारे, खुशी का हुआ शोर,
मौत की न्यूज मिली दिल हुए कमजोर।
उत्सव और मातम का अजीब हैं संगम,
यह वर्तमान किस-किसको दे गया गम।
क्यों? मनाया गया जीत का ऐसा जश्न,
जिसमें अनुत्तरित ही रह गए सारे प्रश्न।
इतनी भी क्या? जल्दी जश्न मनाने की,
जरूरत थी प्रशासनिक दूरदर्शिता की।
बेंगलुरु हादसा अत्यंत हृदयविदारक है,
न जाने कौन-कौन घटना के संहारक है।
(संदर्भ-आरसीबी की जीत के जश्न में मौत का मातम)
— संजय एम तराणेकर