सामाजिक

जीवन के झूठे सपने और सच्चाई की अहमियत

मनुष्य का जीवन सपनों और हकीकत के बीच एक निरंतर यात्रा है। हम सब अपने जीवन में कई बार ऐसे सपने देखते हैं, जो हकीकत से बहुत दूर होते हैं। ये सपने हमें कुछ पल के लिए सुकून और आनंद तो देते हैं, लेकिन जब हम सच्चाई से रूबरू होते हैं, तो कई बार निराशा और खालीपन महसूस करते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने जीवन की सच्चाई को समझें और उसे स्वीकारें।
झूठे सपनों की दुनिया,अक्सर हम अपने मन में ऐसी कल्पनाएँ पाल लेते हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता। हम सोचते हैं कि अगर हमारे पास अमुक वस्तु, पद या संबंध होगा, तो हमारा जीवन खुशियों से भर जाएगा। लेकिन जब वह सपना पूरा भी हो जाता है, तब भी हमें संतुष्टि नहीं मिलती। इसका कारण यह है कि हमने अपने जीवन की सच्चाई को नजरअंदाज कर दिया होता है।
सपनों की ताबीर और सोच,
हर सपना अपनी ताबीर (अर्थ) लिए हुए होता है। लेकिन उसकी ताबीर हर व्यक्ति की सोच और नजरिए पर निर्भर करती है। कोई एक ही परिस्थिति को सकारात्मक रूप में लेता है, तो कोई नकारात्मक। इसलिए जरूरी है कि हम अपने सपनों को हकीकत की कसौटी पर कसें और देखें कि वे हमारे जीवन में किस तरह का बदलाव ला सकते हैं।
खुद को छलना नहीं चाहिए,
जीवन में सबसे बड़ा धोखा वही होता है, जब हम स्वयं को ही धोखा देने लगते हैं। हम अपने मन को बहलाने के लिए झूठी उम्मीदें पालते हैं, खुद को यह विश्वास दिलाते हैं कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, बिना कोई प्रयास किए। यह आत्मवंचना हमें आगे बढ़ने से रोकती है और हमारे आत्मविश्वास को कमजोर करती है।
जीवन के पल – अमूल्य निधि,
हमारे जीवन के हर पल अनमोल हैं। यह समय कभी लौटकर नहीं आता। इसलिए जरूरी है कि हम हर पल को पूरी सच्चाई और ईमानदारी से जिएं। सपने देखें, लेकिन उनकी प्राप्ति के लिए मेहनत करें और सच्चाई का सामना करने का साहस रखें। जीवन को अर्थपूर्ण बनाना हमारे अपने हाथ में है। जब हम अपने सपनों और सच्चाई के बीच संतुलन बनाते हैं, तभी जीवन में सच्चा सुख और संतोष मिलता है।
सपने देखना मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन उनके पीछे भागते हुए अपनी सच्चाई को न भूलें। खुद को कभी न छलें, बल्कि अपने जीवन को ईमानदारी और सकारात्मक सोच के साथ जिएं। जीवन के हर पल को मूल्य दें, क्योंकि यही पल हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं। सच्चाई को स्वीकारें, सपनों को दिशा दें और जीवन को अर्थपूर्ण बनाएं – यही जीवन का असली सार है।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

पिता का नाम: अशफ़ाक़ अहमद शाह जन्मतिथि: 24 जून जन्मस्थान: ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा, मध्य प्रदेश कर्मभूमि: हरदा, मध्य प्रदेश स्थायी पता: मगरधा, जिला हरदा, पिन 461335 संपर्क: मोबाइल: 9993901625 ईमेल: dr.m.a.shaholo2@gmail.com शैक्षिक योग्यता एवं व्यवसाय शिक्षा,B.N.Y.S.बैचलर ऑफ़ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंस. बी.कॉम, एम.कॉम बी.एड. फार्मासिस्ट आयुर्वेद रत्न, सी.सी.एच. व्यवसाय: फार्मासिस्ट, भाषाई दक्षता एवं रुचियाँ भाषाएँ, हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी रुचियाँ, गीत, ग़ज़ल एवं सामयिक लेखन अध्ययन एवं ज्ञानार्जन साहित्यिक परिवेश में रहना वालिद (पिता) से प्रेरित होकर ग़ज़ल लेखन पूर्व पद एवं सामाजिक योगदान, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल, मगरधा पूर्व प्रधान पाठक, उर्दू माध्यमिक शाला, बलड़ी ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी कम्युनिटी हेल्थ वर्कर, मगरधा साहित्यिक यात्रा लेखन का अनुभव: 30 वर्षों से निरंतर लेखन प्रकाशित रचनाएँ: 2000+ कविताएँ, ग़ज़लें, सामयिक लेख प्रकाशन, निरन्तर, द ग्राम टू डे, दी वूमंस एक्सप्रेस, एजुकेशनल समाचार पत्र (पटना), संस्कार धनी (जबलपुर),जबलपुर दर्पण, सुबह प्रकाश , दैनिक दोपहर,संस्कार न्यूज,नई रोशनी समाचार पत्र,परिवहन विशेष,समाचार पत्र, घटती घटना समाचार पत्र,कोल फील्ड मिरर (पश्चिम बंगाल), अनोख तीर (हरदा), दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद, नगर कथा साप्ताहिक (इटारसी) दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार, दैनिक जागरण, मंथन (बुरहानपुर), कोरकू देशम (टिमरनी) में स्थायी कॉलम अन्य कई पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित प्रकाशित पुस्तकें एवं साझा संग्रह साझा संग्रह (प्रमुख), मधुमालती, कोविड, काव्य ज्योति, जहाँ न पहुँचे रवि, दोहा ज्योति, गुलसितां, 21वीं सदी के 11 कवि, काव्य दर्पण, जहाँ न पहुँचे कवि (रवीना प्रकाशन) उर्विल, स्वर्णाभ, अमल तास, गुलमोहर, मेरी क़लम से, मेरी अनुभूति, मेरी अभिव्यक्ति, बेटियां, कोहिनूर, कविता बोलती है, हिंदी हैं हम, क़लम का कमाल, शब्द मेरे, तिरंगा ऊंचा रहे हमारा (मधुशाला प्रकाशन) अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा, तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी (जील इन फिक्स पब्लिकेशन) व्यक्तिगत ग़ज़ल संग्रह: तुम भुलाये क्यों नहीं जाते तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें तेरा इंतज़ार आज भी है (नवीनतम) पाँच नए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन सम्मान एवं पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त पाठकों का स्नेह, साहित्यिक मंचों से मान्यता मुश्ताक़ अहमद शाह जी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे हिंदी-उर्दू साहित्य जगत के लिए गर्व का विषय है। आपकी लेखनी ने समाज को संवेदनशीलता, प्रेम और मानवीय मूल्यों से जोड़ा है। आपके द्वारा रचित ग़ज़लें और कविताएँ आज भी पाठकों के मन को छूती हैं और साहित्य को नई दिशा देती हैं।

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