किसी मोड़ पर
यकीं है किसी मोड़ पर तुम मिलोगे।
रुकने को मुझे आवाज़ दोगे।।
मैं ना रुकना चाह कर भी ठिठक जाऊंगी।
तुम लच्चछेदार शब्दों से मुझे बहलाओगे।।
गिले-शिकवे सब दूर होने तक।
तुम मुझे बातों में बहलाते रहोगे।।
मीठी-मीठी बातों का असर होगा।
मेरा प्यार पाने मेँ तुम सफल हो जाओगे।।
तृषा प्यार की थी मुझ में भरी हुई।
पता था इसे तुम ही बुझा पाओगे।।
सानिध्य तुम्हारा पाकर हर्षित हुई।
विरान जिन्दगी में तुम ही बहार लाओगे।।
— मंजु लता