कविता

आयी रिमझिम बौछारें

रिमझिम बौछारों का आना,

सावन का सुरमई तराना।

मौसम अलबेला सुहाना,

पिया संग प्रीत गुनगुनाना।।

बरसी छमछम बूंदें, मोती मनहर,

धरा-गगन उल्लसित हैं मंजर,

झरते दुधिया झरने झर-झर-झर,

पुष्प गलीचा रंगबिरंगा सुंदर।। 

सृष्टि शृंगार हरियाला मखमली,

कण-कण में सुरभि, बगिया खिली,

पंखुड़ियां पवन संग खूब हर्षायी,

भ्रमर गुनगुन सुन तितली शरमायी।। 

पंछी कलरव मधुर मनभावन,

पात पर दमके ओस बूंदे पावन,

झूम-झूम बलखाता आया सावन,

बौछारों में भीगा-भीगा तन-मन।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

Leave a Reply