कविता

हाइकू

 

शंकित अश्क
बहना है नियति
सुख या दुख

एक खिलौना
दिल से सुसज्जित
खेलता ईश

मैं किरदार
दुनिया रंगमंच
ईश कमान

जीना सवाल
पाना सही जवाब
जीवन खर्च

One thought on “हाइकू

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया

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