कविता- अभी मौत बाकी है
चौथा स्तंम्भ से हूं विश्वास रखो अभी बहुत ईमानदारी भरा है, जो हर पल सच लिखने की चाहत करता है,
Read Moreचौथा स्तंम्भ से हूं विश्वास रखो अभी बहुत ईमानदारी भरा है, जो हर पल सच लिखने की चाहत करता है,
Read Moreमर रहा इंसानियत हो रही हैवानियत लूट रही अस्मित टूट रही सांस छूट रही आस गिर रहा विश्वास रूकता नही
Read Moreसरस निर्मल ह्दय बिखेरती मुस्कान मानो चमकती दूध सी चांदनी रात, कूक नींद तोड़ती मंद हवा संग शुभ प्रभात, पुष्प
Read Moreबिरयानी मुफ्त में बंट रही है, कही शराब कट रही है, शायरी अदांज बिक जाते है लोकतंत्र का मजाक उडा़ते
Read Moreजलती दोपहर में एक मां अपनी बच्चा को पीठ पीछे बाधंकर खेत में तन को जला रही है, मौसम सख्ती
Read Moreहोली पर गीत लिख रहा हाथ कांपने लगे हदय रोकर सवाल किया, अरे शहीदों के घर पर क्या होता होगा,
Read Moreआंतक की गोली सें कब तक खून बहेगा, हर हिन्दुस्तानी कब तक आंतकी का दर्द सहेगा, कायरता दिखलाते हो पीठ
Read Moreमै बंसत की बेला हूं, पतझड़ सा कठोर बहती पवन हूं पलको पर बिखरा सपनो वाला मन हूं, दो आंसू
Read Moreबात बडे़ लोग की हो तब बाते करना अच्छा लगता और सुनना भी, कल मंच से बडे़ ताकतवर लोगो की
Read Moreनीर पथ पर बिखरा था खामोश लोग निकलने लगे कदम ना ठहराया किसी ने बस देखकर अंजान होने लगे, पथ
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