व्यंग्य – निंदिया की डोर, सपनों का पालना
‘नींद’ !अहा..हा..कितना मादक शब्द है!कितनी शांति पगी है इस शब्द मे। यह नाम ज़हन मे आते ही गज़ब की खुमारी
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