रत्नगर्भा
अपनी बिटिया मणि की अँगुली थाम वह रोज शाम को अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से कुछ पल चुरा कर लहरों
Read Moreजब से नेहा का दाखिला इंजीनियरिंग इन्स्टीट्यूट ऑफ़ माइन्स में हुआ था , उसकी माँ के आँखों से नींद उड़
Read Moreरजनी कोचिंग इन्सटीट्यूट से रोती बिलखती घर आकर चुपचाप खुद को अपने कमरे में बंद कर ली थी । वह
Read Moreजब से कामिनी का फोन आया था कि मैं सबकुछ छोड़कर तेरे पास आ रही हूँ, उसके मन में हलचल
Read Moreनिधि का कितना मन था अपनी सहेलियों के साथ पिकनिक पर जाने का । लेकिन हर बार की तरह इस
Read Moreसम्पूर्ण विश्व कुरुक्षेत्र बना हुआ है, युद्ध करते साल भर से अधिक व्यतीत हो चुके हैं । चहुंओर त्राहिमाम त्राहिमाम
Read More“माँssss…क्या मुझे भी तेरे जैसा ही बचपन मिलेगा ? क्या मुझे भी सीढ़ियों पर भूखे-प्यासे तेरे इंतजार में सोना पड़ेगा
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