लघुकथा

हीरे की खान

जब से नेहा का दाखिला इंजीनियरिंग इन्स्टीट्यूट ऑफ़ माइन्स में हुआ था , उसकी माँ के आँखों से नींद उड़ गई थी ।
लड़की जात ! ऊपर से सहशिक्षा कैसे बेटी अपने दामन को बचाते हुए उड़ान भरेगी ।
सोच-सोच कर पागल हुई जा रही थी ।
बेचैनी में करवट बदलने से बेहतर लगा कि अपनी आशंकाओं पर खुल कर चर्चा अपनी बिटिया से ही कर लूँ ।
यही सोच कर वह सुर्योदय से पहले ही बिस्तर छोड़ते हुए नेहा के संग प्रातःकालीन भ्रमण के लिये घर से निकली ।
रास्ते में कहां से बातें शुरू करूँ, कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।
नेहा शायद उसके मनोभावों को समझ रही थी ।
“माँ ऊपर आकाश में देखिये परिंदों के झूँड में आप बता सकती हैं कि नर परिंदा कौन है , या मादा परिंदा कौन है या फिर कुछ ही दिनों पहले जन्म लिया सबसे छोटा परिंदा कौन है ?”
“बिटिया ! यह कैसे सवाल हैं तुम्हारे ? मुझे क्या किसी को इनकी उम्र का अंदाजा नहीं होगा ।”
“बिल्कुल सही कहा आपने माँ । बस एक ही सच है कि हर परिंदा अपने पंखों की क्षमताओं को समझते हुए स्वयं भी उडान भरता है एवं अपने बच्चों को भी उड़ने की कला बचपन से सिखाता है ।”
बेटी की गूढ़ बातों को समझते हुए  उसके बालों पर हाथ फेरते हुए बोली-
“मेरी बिटिया तो अभी से माइनिंग इंजीनियर बन गई है । मैं ही भूल रही थी कि, कोयले की खान में तू हीरा है ।”
— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - arti.roy1112@gmail.com