कविता

तब समझ आयेगा

तालिबान प्रेमियों शुभचिंतकों
तुम बड़े समझदार हो,
तभी तो तालिबानियों के
लगते वफादार हो।
खाते रहते भारत में
सुविधा, सुरक्षा लेते अधिकार से
नाचते गाते कितनी शान से
पाकिस्तान और तालिबानियों के
एहतराम में।
अगर इतना ही उनसे प्यार है
तो बाँधो गठरी निकल लो
तुम्हें भला कब रोका किसने?
सब शेखी बघारना बंद हो जायेगा
अपनी माँ बहन बेटी की हिफाजत
तुमसे जब नहीं हो पायेगा।
तब तुम्हें तुम्हारी जात औकात
नाली के गंदे कीड़ों
सब समझ में आ जायेगा,
तब तुम्हारा बेसुरा राग
तुम्हारे गले में ही घुटकर रह जायेगा
तुम्हारा तालिबानी चाचा
तुम्हें घुटनों के बल बिठाकर
तुम्हारी बहन बेटियों की
जब धज्जियां उड़ाएगा,
तब तुम्हें तालिबानियों का
वास्तविक रुप समझ में आयेगा,
तुम्हारा इमरान मियां भी
तुम्हें शैतान नजर आयेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921