वाणी अमृत सी चिर स्नेह की मूर्ति प्रेम की आधार, जगत पिता बंध जाता तत्क्षण बोलते बात । स्नेह मयी ओ अकथनीय दया कोमल हृदय, मन जल सा गोदी पलंग सी शिशु के लिए। अविरल है निश्छल भावना भी अंश खातिर, मनमोहक है जिसकी प्यारी पात कहता शिशु। खुश हो जाती बोलता तुतलाकर मां, बेटा […]
Author: अरुण कुमार शुक्ल
पता-ग्राम जिगिना शुक्ल
पोस्ट-कमसार
जिला -सिद्धार्थनगर यू पी
मो.न.6394386319
अध्ययन रत-शास्री तृतीय वर्ष
विद्यालय- राजगोपाल संस्कृत महाविद्यालय अयोध्या