कविता *बबली सिन्हा 06/03/2018 दुहराती है जिंदगी दुहराती है जिंदगी बीते पलों को एक बार फिर से हां, सोचा न था.. कि तुमसे बिछड़ने के बाद मिलेंगे.. Read More
कविता *बबली सिन्हा 28/02/2018 जज्बात कुछ अपने अपने होकर भी गैर हो जाते हैं रिश्तों के सुर्ख जज्बात फीके रंग बिखरते हैं एक खूबसूरत अपनत्व Read More
कविता *बबली सिन्हा 22/02/2018 ठहराव ठहरता नहीं मन, सिरे पर घूर्णन गति की तीव्रता संग जा ठहरता है तुम्हारे यादों के केंद्र में एक दबाव Read More
कविता *बबली सिन्हा 20/02/2018 डायरी एक डायरी जिंदगी की अतीत के पन्नों को समेटे मन के अंतहीन तहों में सहेजे रखा है वर्षों से जब Read More
कविता *बबली सिन्हा 19/02/2018 मन… बहुत सोचता है मन क्या लिखे क्या न लिखे असमंजस के घेरे में मन में जन्म लेते कई सवाल!! कहीं Read More
कविता *बबली सिन्हा 16/02/2018 अंतद्वन्द समय खेलता है सबके साथ.. और हम उसके मोहरे हालातों के जाल में, यूँ घेर लेता मानो! तमाशा बनकर रह Read More
कविता *बबली सिन्हा 06/02/2018 जिंदगी…. जिंदगी बहुत दूर आ खड़ी है बचपन से निकल कर उम्र के ढलान पे ललाट पर खिंची रेखाएं आंखों के Read More
कविता *बबली सिन्हा 03/02/2018 दर्द…. दर्द का कोई निश्चित दायरा नहीं होता ना कोई किनारा ना कोई तटबंध जो रोक सके बहाव को; बस रिसता Read More
कविता *बबली सिन्हा 02/02/2018 प्रेम.…. हाय! दिल की ये कैसी आदत है..!! ठोकर दर ठोकर खाता है.. फिर भी, दिल से दिल लगाता है… उफ! Read More
कविता *बबली सिन्हा 25/01/2018 मोती मेरे जीवन और उसके पल-पल लम्हों का आधार मेरे प्रति तुम्हारा समर्पित प्रेम ही है जब संवेदनाओं की अनन्त क्रियाएं…. Read More