कविता *बबली सिन्हा 23/03/2019 नदी का सफर नदियां भी तो चलती है पिघलती है उद्गम से निकलती है पहाड़ों से गिरती है रास्ते ऊबड़ – खाबड़ है Read More
कविता *बबली सिन्हा 22/03/2019 मौन मन की अभिव्यक्ति अगर मौन हो जाएं तो दर्द बनकर चुभती है अन्तस् में मौन की प्रकृति साहस नहीं तोड़ती Read More
कविता *बबली सिन्हा 20/02/2019 प्रेम प्रेम नहीं समझता शब्दों का चलन ये तो व्यवहारों को महसूसता है दिल से पढ़ता है एहसासों को और जज्बातों Read More
कविता *बबली सिन्हा 07/02/2019 स्वार्थ आगे बढ़ने की होड़ में बेकाबू हो गए हैं हम दब गई कहीं मानवता स्वार्थ की बढ़ी कतार एकदूसरे के Read More
कविता *बबली सिन्हा 06/02/2019 मन काश ये मन न होता तो तेरा ख्याल भी न होता कितना रोकती हूँ इसे फिरभी तेरी ओर चला जाता Read More
कविता *बबली सिन्हा 01/02/2019 एहसास तुम्हारे इंतजार में थोड़ा नमकीन सा मिठास है.. ये कैसा एहसास है… जैसे जैसे वक्त सरकता है भीतर हराहट सा Read More
कविता *बबली सिन्हा 31/01/2019 प्रेम…. ये दिल की आदतें कैसी है बार-बार चोट खाती फिरभी दिल लगाती है दर्द से गहराया है मन का कोना-कोना Read More
कविता *बबली सिन्हा 19/12/201820/12/2018 श्रृंगार… श्रृंगार! श्रृंगार दर्पण है व्यक्ति का, उसके व्यक्तित्व का निखार आता है श्रृंगार से आकर्षण है श्रृंगार में वसंत ऋतु Read More
कविता *बबली सिन्हा 14/12/201815/12/2018 तन्हाई…. जब भी तन्हाई में होती हूँ वो नजर आता है निगाहें स्थिर हैं गति मंथर है धड़कनें सामान्य हैं जिंदगी Read More
कविता *बबली सिन्हा 06/12/2018 प्रेम बड़ी असमंजस सी हो गई है जिंदगी उनकी यादों में जैसे थम सी गई चाहत की हर आस उनसे जुड़ी Read More