कविता

शहीद….

आँखें नम है
हर दिल मे गम है
ये वक़्त जरा गमगीन है
तिरंगे में लिपटे शहीद है
शहीदों के शव रखे करीब है
एक आँख से अश्रुधार बह रही
दूसरी आंख दिल के आग उगल रही

देश ने वीर सपूत खोए है
हमारे जवाब शहीद हुए है

मां ने बेटा बहन ने भाई खोया है
स्त्री का मांग आज सुना-सुना है

बच्चों से पिता का साया छीन गया
हाय ! ये नन्ही उम्र में दर्द कैसा मिल गया

हर किसी का नाता जुड़ा है उनसे
पूरे देश को सहानुभूति है तुमसे

सज्ज है देश बूंद-बूंद का हिसाब लेने को
हर एक आंसू सूखने से पहले
कायरों को खून के आंसू रुलाने को

नमन है वीर शहीदों को
आज फिर से देशप्रेम की आंधी सी चली
हर दिल ने हुंकार सी भरी है

देशभक्ति की ये जो गंगा निकली है
सैलाब बनकर दुश्मनों को
निगलने निकली है

*बबली सिन्हा

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