चंचला छंद “बसंत वर्णन”
छा गयी सुहावनी बसंत की छटा अपार। झूम के बसंत की तरंग में खिली बहार।। कूँज फूल से भरे तड़ाग
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Read Moreअग्रोहा की नींव रखे थे, अग्रसेन नृपराज महान। धन वैभव से पूर्ण नगर ये, माता लक्ष्मी का वरदान।। आपस के
Read Moreभारत तू कहलाता था, सोने की चिड़िया जग में। तुझको दे पद जग-गुरु का, सब पड़ते तेरे पग में। तू
Read Moreसमान सवैया “अनुत्तरित प्रश्न” जो भी विषय रखो तुम आगे, प्रश्न सभी के मन में मेरे। प्रश्न अधूरे रह जाते
Read Moreइन्द्रवज्रा छंद / उपेन्द्रवज्रा छंद / उपजाति छंद (शिवेंद्रवज्रा स्तुति) परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि
Read Moreकाव्य-मंच (मापनी:- 2122 2122 212) काव्य मंचों की अवस्था देख के, लग रहा कविता ही अब तो खो गयी; आज फूहड़ता का ऐसा जोर है, कल्पना कवियों की जैसे सो गयी। काव्य-रचना की जो प्रचलित मान्यता, तोड़ उनको जो रचें वे श्रेष्ठ हैं; नव-विचारों के वे संवाहक बनें, कवि गणों में आज वे ही ज्येष्ठ हैं। वासनाएँ मन की जो अतृप्त हैं, वे बहें तो काव्य में रस-धार है; हो अनावृत काव्य में सौंदर्य तो, आज की भाषा में वो शृंगार है। रूप की प्रतिमा अगर है मंच पर, गौण फिर तो काव्य का सौंदर्य है; फब्तियों की बाढ़ में खो कर रहे, काव्य का ही पाठ ये आश्चर्य है! चुटकलों में आज के श्रोता सभी, काव्य का पावन रसामृत ढूंढते;
Read Moreप्रधान मंत्री मोदी जी की कविता की पंक्ति से प्रेरणा पा लिखी गीतिका (मापनी:- 12222 122) अभी तो सूरज उगा है, सवेरा
Read Moreहाइकु (नव-दुर्गा)P शैलपुत्री माँ हिम गिरि तनया वांछित-लाभा। ** ब्रह्मचारिणी कटु तप चारिणी वैराग्य दात्री। ** माँ चन्द्रघण्टा शशि सम
Read Moreलगाए बहुत साल याँ आते आते, रुला ही दिया क़द्र-दाँ आते आते। बहुत थक गए हम रह-ए-ज़िन्दगी में, थकीं पर
Read Moreदेवों की भाषा से जन्मी हिन्दी। हिन्दुस्तां के माथे की है बिन्दी।। दोहों, छंदों, चैपाई की माता। मीरा, सूरा के
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