बूँद कहते हैं मुझे
बूँद कहते हैं मुझे सब मोद से। मैं निकलती बादलों की गोद से।। बादलों ने ही मुझे पाला सदा। मैं
Read Moreबूँद कहते हैं मुझे सब मोद से। मैं निकलती बादलों की गोद से।। बादलों ने ही मुझे पाला सदा। मैं
Read Moreकौन किसे नित टहलाता है! कूकर वह आगे जाता है।। सुबह सड़क पर वे जाते हैं। लोग सैर यह बतलाते
Read Moreकोरोना की पहली और दूसरी लहर के आघातों से हम सभी अनभिज्ञ नहीं हैं।हर ओर यह आशंका भी व्यक्त की
Read Moreभीगी-भीगी सुबह हो गई। मेघों की यह विजय पय मई।। देखो काले बादल आए। खेत, बाग, वन में वे छाए।।
Read Moreसोना कम से कम लोगों के पास कम से कम मात्रा और अधिक महत्त्व की वस्तु है। संभवतः इसीलिए उसका
Read Moreकहा जाता है कि ‘मानव पहले पशु है ,बाद में मनुष्य।’ किन्तु मुझे इसके ठीक विपरीत ही प्रतीत होता है।अर्थात
Read Moreसात रंग की पाँती सोहे। वक्र,गगन में दृग मन मोहे।। यह शुचि इंद्रधनुष कहलाता। हम सबका वह मन बहलाता। सुबह
Read Moreतार – तार भारत माता के, वसन फटे हैं बिखरे बाल। आँखों पर संतति पट बाँधे, देखो ये माता के
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