बालकविता – इंद्रधनुष 🌈
सात रंग की पाँती सोहे। वक्र,गगन में दृग मन मोहे।। यह शुचि इंद्रधनुष कहलाता। हम सबका वह मन बहलाता। सुबह
Read Moreसात रंग की पाँती सोहे। वक्र,गगन में दृग मन मोहे।। यह शुचि इंद्रधनुष कहलाता। हम सबका वह मन बहलाता। सुबह
Read Moreतार – तार भारत माता के, वसन फटे हैं बिखरे बाल। आँखों पर संतति पट बाँधे, देखो ये माता के
Read Moreमानवता का मातम छाया , कैसे गीत सुनाएँ हम। मानव रक्त पिए मानव का, घर -आँगन में काला तम।। भगवानों
Read Moreमैं लाल गगरिया पानी की। माटी से बनी कहानी भी।। जिस कुम्भकार ने मुझे गढ़ा। नव स्वेद कणों का पाठ
Read More