समुंदर
रात्रि तंद्रा में मैं पहुंच गया समुंदर किनारे कुछ पल बैठा देखता रहा उसमें उठने वाली लहरों को एक लहर
Read Moreअपना अपना गाँव नाते रिश्ते तोड़ सब भाग रहे शहरों की ओर कोई कहता रोजी नहीं कोई कहे शिक्षा कोई
Read Moreअपने ख्वाबों क़ी खातिर दौड़ता ही रहा और दौड़ कर बहुत दूर निकल गया इस दौड़ मैं मेरे ख्वाब तो
Read More