क्षणिका

इश्के मोहब्बत

पहले मिलते थे वो बड़ी गरमजोशी से

न जाने कैसी  ब्यार चली

जो रूख  बदल गया

सनम

तुम चाहो तो किनारा कर लो

हमें तो इश्के मोहब्बत है.

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020