क्षणिका

कार्तिक पूर्णिमा

न खुला अम्बर

न खुली छत है

चाँद मुस्कुरा रहा

फेंक रहा अपनी चांदनी

बरसा रहा अमृत

कैसे पाऊं यह अमृत

अपनी बनाई खीर में

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020