बदलाव
खोता यहां कुछ भी नही यहां केवल जिल्द बदलती पोथी मैं अजर अमर अविनाशी कैसा तू संताप करे मैं कहां
Read Moreजिंदगी का सार कुछ भी तो नही बस मुट्ठी भर राख न करो शिकवा चंद रोज की है जिंदगी हंसते
Read Moreचलो लेके कोई ख्वाब नींद के आगोश में चलते हैं चांद तारों से सजी महफिल है चांद दुल्हा चांदनी उसकी
Read Moreआम फलों का राजा है. बच्चें, बूढ़े और जवां सभी को बहुत भाता है. कोंकण का हापुस, मलिहाबाद का दशहरी,
Read Moreचलो आज फिर बच्चें बन लौट चले बचपन की ओर साथ ले बचपन के लंगोटिया यारों को कागज की कश्तियां
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