कविता दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि 23/02/202423/02/2024 सावन समाप्ति ग्रीष्म की बरसात की बूंदों ने जताई… वनस्पतियाँ पड़ी पीली खुशी से मुस्कुरायीं… सूखी हुई जल-धाराओं ने धीरे-धीरे साँसें लीं … Read More
क्षणिका दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि 22/12/2022 मेरी माँ वे हैं रौनक मेरी दुनिया को महकानेवाली वे हैं जंगली कली मेरी तू ही पूजा और सुकून मेरी नाम से वे माँ Read More
क्षणिका दिलिणि तक्षिला सेव्वन्दि 19/09/202222/09/2022 कविता तेरे दिल के आसमान पर निकलता सुधाकर मैं ही हूँ एक भी सितारे नहीं चाहिए बस रात का इंतज़ार है Read More