खामोश किरदार
किताबों की खामोश चीख सुनी है कभी उसमें बसे किरदारों की आवाज सुनी है कभी हर किरदार तड़पता है —बंद
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Read Moreअपनी उम्र के कुछ बूढ़े — पक्के बाल से , कमर झुकी सी , शब्द कंपकपाते हुऐ से , इस
Read Moreये लो आज वो फिर पिट गयी रोटी शायद कही से जल गयी ! मार खा कर भी दूसरी रोटी
Read Moreप्रथम प्रेम — आह्ह कैसा मीठा सा शब्द है , जो शहद की तरह घुल जाता है | जो दिलो
Read Moreजीवन भर संजो के सपनो को रखना ये एक आदत सी बन जाती है नारी की | उसकी कल्पना बस
Read Moreना जाने कितने ख़त लिखे तुम्हे कितने तुमने पढ़े पता नहीं हर एक नया खवाब लिखा तुम्हे कितने तुमने पुरे
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