मनहरण घनाक्षरी छंद : बेटी की पीर
शब्द-शब्द दर्द हार, सुनो मात ये गुहार, गर्भ में पुकारती हैं, नर्म कली बेटियाँ। रोम-रोम अनुलोम, हो न जाए स्वांस
Read Moreशब्द-शब्द दर्द हार, सुनो मात ये गुहार, गर्भ में पुकारती हैं, नर्म कली बेटियाँ। रोम-रोम अनुलोम, हो न जाए स्वांस
Read Moreपांवड़े पलके बिछाए राह मैं देखा करूँ नैन ढुलके आंसुओं से आस की झोली भरूँ साँझ की दहलीज पे
Read Moreपीर को रख तू छुपा के जख्म ये बाज़ार है जालिमों की बस्तियां औ द्वेष ही संसार है झूठ का
Read Moreजवाँ तुम हो जवाँ हम हैं, जवाँ ये वादियाँ सारी। जवाँ है धड़कनें दिल की, जवाँ मैं दिल गयी हारी।
Read Moreबनो तो कृष्ण तुम मेरे, तुम्हारी मैं बनूँ राधा। चढ़ा है प्रीत का पारा, कभी उतरे नही आधा। तुम्ही चातक
Read More1) पीता विष का घूँट हूँ, सुनके कड़वी बात। बात-बात में कर गया, बेटा दिल आघात।। बेटा दिल आघात,
Read Moreहो गया न्याय मासूम मुजरिम खत्म अध्याय। ….गुंजन अग्रवाल
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