ताटंक छंद
—————————- चंचल चितवन श्याम सलोने, केशो को लहराती है। तन-बदन में जैसे मेरे, कौंध बिजलियाँ जाती है।। सर से नख
Read Moreतुझसे लगाई प्रीत मैंने, झाँक तो अंतर प्रिये। हूँ ख्वाब तेरी आँख का मैं, हूँ नहीं कंकर प्रिये । थामा
Read Moreऊँघता चाँद प्रभात की चौखट खोजता माँद। टूटती शाख सहेजे अपनों के सपने खाक। बरखा बूँद खेतो में रचे
Read Moreटिमटिमा दीपक गए, फैला दिया उजास। दीवाली ले आ गई, आशा और उल्लास।। जगमग किसने है किये, नभ के दीप
Read Moreहे गणपति गणेश, गौरी नंदन महेश, सुन लो मेरी प्रार्थना, करो पूरन कामना।। हर लो सभी विकार, कांतिप्रिय संसकार, जीवन
Read Moreपल में मिलते हैं गले, पल में लातम लात। राजनीति के खेल में, हर पल होती घात।। लूट रहे है
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