मेरी कहानी 87
बदामी रंग का पयजामा सूट जो मैंने मार्क्स ऐंड स्पैंसर से लिया था पहन कर मैं बिस्तर में लेट गिया
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Read Moreकाबल एअरपोर्ट पर जब हम लैंड हुए तो देखा इर्द गिर्द सभी तरफ पहाड़ ही पहाड़ थे। यह पहाड़ तो
Read Moreदिसंबर 1966 में मुझे PSV लाइसैंस मिल गिया था और मेरे साथ रोज़ रोज़ नए नए कंडक्टर आते थे। कई
Read Moreएक दिन हमारे घर के सिटिंग रूम की अंगीठी में कोएले जल रहे थे और कमरा बहुत गर्म लग रहा
Read Moreबहादर और लड्डा यानी बहादर का छोटा भाई हरमिंदर कभी कभी शनिवार या रविवार को आते ही रहते थे. क्यूंकि
Read Moreपहला दिन हमारा कामयाब रहा था. बस को चलाने का कुछ आइडिया हो गिया था. दुसरे दिन मैंने डिपो से
Read Moreजब मैंने काम शुरू किया था, उस समय बहुत से इंडियन पाकिस्तानी और जमेकन लोग बस्सों पे काम करने के लिए
Read Moreलाली के साथ हमारी ट्रेनिंग खत्म हो चुक्की थी। सोमवार को मैंने वर्दी पाई ,सर पर हैट ली और घर
Read Moreदुसरे दिन हम फिर विक्टोरिया स्क्वायर चले गए। लाली हमारी इंतज़ार कर रहा था। लाली ने एक लड़के के गले
Read Moreडैडी जी इंडिया चले गए थे और धीरे धीरे मेरी ज़िंदगी की नई शुरुआत हो गई । काम पर मैं
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