मासूमियत से मशरूफियत
इस दुनिया में मासूमियत से जब हम- मशरूफियत की और बढ़ते हैं लगता है हर रिश्ते के मायने बदल जाते
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Read Moreजीवन जन्म से लेकर अंतिम सांस तक चलता ही रहता है, लेकिन यह जीवन कैसा है, सम्मानित है, सुखी है शिष्ट
Read Moreअपनी दोस्ती और रिश्तेदारियां अपनी मज़बूरी और जिम्मेवारिया अपने व्यवसाय की परेशानियां कुछ समाज के नाम पर बेड़ियाँ कुछ धार्मिक
Read Moreवह जो लिखते थे मेरी बिखरी ज़ुल्फो पे ग़ज़ल आज यह भी न पूछा कि तुम उलझी क्यों हो, पूनम
Read Moreअपने दिल के अरमान बेच कर, दूसरों के दुःख दर्द खरीद लेता हूँ, अब यही तो है व्यापार मेरा, दो
Read Moreअंग्रेज़ो से हमें आज़ादी तो १९४७ में मिल गयी , लेकिन अंग्रेज़ो को छोड़ने के बाद हमने अंग्रेज़ियत नहीं छोड़ी.
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