गीत : मत बाँधो दरिया का पानी
मत बाँधो दरिया का पानी बहने दो अब लहर-लहर को ॥ किसे दिखाऊँ किसे बताऊँ अंतर गहरे घाव बहुत हैं
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Read Moreमन से मन मिलना अब सबसे मुश्किल है ॥ अपनों से चोरी रखते गैरों से मिलते भेद-भाव की खेती कर, हैं
Read Moreगुरु पूर्णिमा एक पर्व ही नहीं जीवन का यथार्थ है इसे हृदय से मनाएँ भले ही फिर मंदिर में दीपक
Read Moreबादलों से आता पेड़ों को गुदगुदाता प्रेम गीत गाता देखो,सुबह से बरस रहा है पानी । फुहारी साड़ी ले आता
Read Moreचाँद आया था मेरे साथ-साथ बाग में विस्मित हो जा छुपा रंगों की फाग में ॥ उछलता रहा रात भर
Read Moreआँखों में मेरी बसा, माँ का सुंदर रूप हमको देती थी खुशी, वो मेरे अनुरूप॥ राम कृष्ण ना जानती, मैं
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