गीतिका
आधार छन्द आनंदवर्धक मापनी -2122 2122 212 समान्त -आना पदान्त – आ गया याद इक किस्सा पुराना आ गया। सामने
Read Moreबाहर इतनी सर्दी थी कि हाथ पैर सुन्न हो रहे थे मगर शोभा तो डर से पसीना पसीना हो रही
Read Moreज्ञान का उजियारा फैलाया! भारत का भगवा फहराया! देश का अपने गौरव बड़ाया! ज्ञान का दीप ऐसा जलाया! भूल न
Read Moreमाना मुट्ठी से रेत की तरह फिसलता जाता है यह वक्त ! चाहकर भी कोई नहीं वापिस पा सकता है
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