अजब-गजब दुनिया का सबसे छोटा जानवर दुनिया का सबसे छोटा घोडा मात्र 17 इंच का है सबसे छोटा कुत्ता डक्की मात्र 4.9 इंच का है दुनिया की सबसे छोटी बिल्ली मात्र 6.1 इंच की है इसका वजन 3 पाउंड होता है सबसे छोटी मछली सिर्फ 0.3 इंच की होती है ये पेईडोक्राईप प्रोजेगेटिया की एक […]
Author: कविता सिंह
विडम्बना
विडम्बना “बहु ओ बहु कहाँ मर गयी!“ सुषमा जी पूजा घर से चिल्ला रही थीं। आज नवरात्रि का पहला दिन था। पंडित जी को और भी घरों में जाना था वो थोड़ा जल्दी में थे। ष् क्या बोलूँ पंडित जी! पता नहीं कैसी बहुरिया पल्ले पड़ गई। कल से ही बोल रखी थी सुबह सब […]
#मन_गौरैया#
#मन_गौरैया# तन की कोठरी में चहकती फुदकती मन गौरैया कभी पंख फड़फड़ाती कभी ची- ची करती भर जाती पुलक से नाचती देहरी के भीतर। उड़ना चाहती पंख पसार उन्मुक्त गगन में देखना चाहती ये खूबसूरत संसार…. नहीं संज्ञान उसे, इस लुभावने संसार के पथरीले धरातल, और छद्म रूप धरे, मन गौरैया के पर कतरने ताक […]
सच्ची आधुनिकता
सच्ची आधुनिकता सुबह- सुबह सोसाइटी के पार्क में मॉर्निंग वॉक करते हुए मिसेज शर्मा की नजर मिसेज बैनर्जी पर पड़ी। “हेलो मिसेज बनर्जी क्या बात है आप आजकल सोसाइटी की किटीज में नहीं दिख रहीं!” “ऐसे ही मिसेज शर्मा मन नहीं करता अब।” मिसेज बनर्जी ने पीछा छुड़ाने वाले अंदाज में कहा। “वैसे मिसेज बनर्जी […]
विडम्बना
विडम्बना वही तो है, बिल्कुल वही। आज पाँच वर्षों के बाद उसे देखा मैंने हरिद्वार में पतितपावनी गंगा के किनारे। गेरुआ वस्त्र में लिपटी हुई, मुख पर असीम शांति लिए हुए चोटिल और बीमार पशुओं की सेवा करते करते हुए। एकबारगी मन हुआ दौड़ के उसके पास पहुँच जाऊँ और पूछूँ कि वो यहाँ इस […]
ये कुछ तुम जैसा है
ये कुछ तुम जैसा है कुछ नेह के धागे बुने हुए कुछ स्नेह की झरती बूंदों सी, कुछ यादें मीठी-मीठी हैं कुछ लम्हें रीते-रीते से कुछ होंठों पर मुस्कान लिए कुछ नमी भी है इन आँखों में, कुछ रक्त सा बहता है नस में कुछ साँस महकती सी हरदम, कुछ टीस सी उठती सीने में […]
विवशता?
विवशता? “मम्मी आज मत दाओ ना, तुम नहीं होती हो तो अच्छा नहीं लगता!” रचना की तीन साल की बेटी पीहू ने खाँसते हुए कहा जिसे सुनकर रचना का मन रो पड़ा। ” बेटा मीना आंटी हैं ना और पापा भी तो आपके पास आते ही रहते हैं। तुम तो मेली लानी बिटिया हो […]
बिडम्बना
बिडम्बना “बहु ओ बहु कहाँ मर गयी!” सुषमा जी पूजा घर से चिल्ला रही थीं। आज नवरात्रि का पहला दिन था। पंडित जी को और भी घरों में जाना था वो थोड़ा जल्दी में थे। ” क्या बोलूँ पंडित जी! पता नहीं कैसी बहुरिया पल्ले पड़ गई। कल से ही बोल रखी थी सुबह सब […]
प्रेम और त्याग
धरा ! धैर्य धारण किए, खुद में समेटे अथाह प्रेम और त्याग, तकती रहती अपने आसमां.. क्षण – क्षण खुद में समाहित करती आसमां के बदलते हर स्वरूप.. कभी सूरज की ज्वाला से झुलसती ना केवल उसकी आंखें, फट जाता है कलेजा भी कभी कभी, कभी स्निग्ध चांदनी की शीतलता बन ओस की बूंदें बढ़ा […]
कोई सिखे तो…तुमसे।
किसी की उदासियों में भी खुशियां बिखेरना हंसना हंसाना कोई सिखे तो…तुमसे। अधूरे लफ्जों और बिन बात की बातों से भी सब कुछ कह देना कोई सीखे तो… तुमसे। खुद से अपरिचितों को खुद से ही परिचित कराना कोई सीखे तो… तुमसे। भावों और एहसासों को बिन कहे बिन बोले शब्दों में उकेरना कोई सीखे […]