असत्य की होलिका जलती रही
सत्य के प्रह्लाद की होती विजय,असत्य की जलती रही होलिका इस ख़ुशी में नाचते गाते सभी,और रचते रास फागुन मॉस
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Read Moreआत्मा परमातना का अंश है जीव के कण-कण में ही वह व्याप्त है शुद्ध है,निर्मल है और निर्लिप्त है देखने
Read Moreजीवन को नियमित बना कर,नवयुग का निर्माण करें ह्रदय से सब की सेवा कर,राष्ट्र चेतना का ही व्रत लें जियें
Read Moreतुलसी तेरी रामायण से कितने जीवन सुधर गए है। घर घर में है इसकी पूजा चाहे वर्षों गुजर गए है।।
Read Moreजागने का वक्त है हम जग जाएँ, यूँ ही अपनी जिन्दगी को न गंवाएं आये हैं जिस काम को
Read Moreजागने को तो जागे हुए हैं सभी पर अँधेरे में हैं ढूंढते रौशनी दर बदर खाते रहते हैं जो ठोकरें
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