गंगा जल
मैने कहा तुम ही तो मेरी नयी ग़ज़ल हो उसने कहा तुम मेरे प्यार में पागल हो मैने कहा
Read Moreजब मैने तुम्हें गौर से देखा तो तुम्हारी आँखों की खामोशी ने मुझसे यह बात कही तुम मेरी कविता
Read Moreमुझे देख कर भी चुप रह जाता हैं दर्पण अपनी ही हथेली पसारे अंत तक … उसकी रेखाओं कों निहारते
Read Moreपंखे को लगाव है छत से घड़ी को दीवार से कालीन को फर्श से हरी दूब को प्यार है आँगन
Read Moreसपनों के लग गये पर रंग गाडा आया … बसंत का फागुन बन निखर चुम्बन लेने लौट आया मधुप काँप
Read Moreतुम …मेरी कल्पना कौन हो ….? तुम शब्द-रहित मौन -प्रेम की निश्छल कविता हो छंदमुक्त देह-रहीत अदृश्य आभा हो तुम
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