कविता

गंगा जल

 

मैने कहा तुम ही तो मेरी नयी ग़ज़ल हो
उसने कहा तुम मेरे प्यार में पागल हो

मैने कहा मैं ज़मीं हूँ और तुम नीला आसमाँ हो
उसने कहा तुम मेरे मन की आँखों के काजल हो

वियोग की लंबी तन्हाई मेरी हमसफ़र है
जो तुम्हे छूना चाहे तुम वो मेरा आँचल हो

भटकता फिर रहा हूँ तन्हा इस जहाँ में मैं
कभी भी आ जाए बरसने तुम ऐसे बादल हो

अचेतन के पन्नों में अंकित रह गया है कोई
अंत में जिसे पीना चाहूं तुम वो गंगा जल हो

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “गंगा जल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    खोरेंदर भाई ग़ज़ल तो धमाकेदार लिखी है . मज़ा आ गिया .

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

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