Author: *मदन मोहन सक्सेना

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : दिल में दर्द जगाता क्यों है

गर दवा नहीं है दर्द की तुझ पे दिल में दर्द जगाता क्यों है जो बीच सफर में साथ छोड़

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गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )

गज़ल ( सेक्युलर कम्युनल ) जब से बेटे जवान हो गए मुश्किल में क्यों प्राण हो गए किस्से सुन सुन

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