आखिर कब तक ?
गोधूली वेला में क्षितिज पे फैली वो रक्त रंजित लालिमा अस्फुट शब्दों में चीत्कार करती बार बार अश्रु भरी आँखों
Read Moreगोधूली वेला में क्षितिज पे फैली वो रक्त रंजित लालिमा अस्फुट शब्दों में चीत्कार करती बार बार अश्रु भरी आँखों
Read Moreभागते-बौखलाते शहर में घन-घनाते फोन कॉल्स के बीच भी मार्बल से आच्छादित फर्श से बची मिट्टी में ओस की नमी
Read Moreकहाँ पता था चलते हुए यूँ अकेले पैरों में छाले पड़ जायेंगे कई उँगलियाँ उठेगी कई भौवें भी तनेगी हर
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