Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमें धर्म और उपासना के यथार्थस्वरूप व रहस्य को जानना चाहिये

ओ३म् आजकल सामाजिक जगत तथा राजनीति जगत में धर्म के नाम की खूब चर्चा होती है परन्तु लगता है कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमारे वर्तमान जन्म की तरह हमारे पूर्वजन्म व पुनर्जन्मों का होना भी सत्य है

ओ३म् हम मनुष्य हैं और लगभग 7 दशक पूर्व हमारा जन्म हुआ था। प्रश्न है कि जन्म से पूर्व हमारा

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आर्यसमाज वैदिक धर्म प्रचारक एवं समाज सुधारक संस्था है

ओ३म् आर्यसमाज ऋषि दयानन्द द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी विक्रमी 1931 तदनुसार 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में स्थापित एक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

राम का वनगमन से पूर्व अपने पिता दशरथ व माता से प्रशंसनीय संवाद

ओ३म् राम को हमारे पौराणिक बन्धु ईश्वर मानकर उनकी मूर्तियों की पूजा करते वा उनको सिर नवाने के साथ यत्र

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द न आये होते तो आर्य-हिन्दू अत्यन्त दुर्दशा को प्राप्त होते

ओ३म् मनुष्य की पहचान व उसका महत्व उसके ज्ञान, गुणों, आचरण एवं व्यवहार आदि से होता है। संसार में 7

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने अविद्या दूर करने सहित संसार का महान उपकार किया

ओ३म् –ऋषि दयानन्द के जन्म दिवस पर- सृष्टि के आरम्भ से संसार में मनुष्य आदि प्राणियों का जन्म होता आ

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर हमारे कर्मानुसार ही हमें मनुष्यादि जन्म तथा सुख दुख देते हैं

ओ३म् हम लोगों का जन्म मनुष्य के रूप में स्त्री या पुरुष किसी एक जाति में हुआ है। यह जन्म

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनुष्य को सृष्टिकर्ता ईश्वर के उपकारों को जानकर कृतज्ञ होना चाहिये

ओ३म् मनुष्य मननशील प्राणी है। इसका शरीर उसने स्वयं उत्पन्न किया नहीं है। माता पिता से इसे जन्म मिलता है।

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मानव जाति की अन्यान्योत्तम सम्पत्ति ईश्वर एवं वेद

ओ३म् वर्तमान समय में मनुष्य का उद्देश्य धन सम्पत्ति का अर्जन व उससे सुख व सुविधाओं का भोग बन गया

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