Author: *मनमोहन कुमार आर्य

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर अनादि, जगत का कर्ता एवं जड़-चेतन जगत का स्वामी है

ओ३म् ऋषि दयानन्द जी ने सत्यार्थप्रकाश के सप्तम समुल्लास के आरम्भ में ऋग्वेद के 4 और यजुर्वेद के एक मन्त्र

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द को शिवरात्रि को हुए बोध से विश्व से अविद्या दूर हुई

ओ३म् वर्तमान समय से लगभग 5,200 वर्ष पूर्व महाभारत का विनाशकारी युद्ध हुआ था। महाभारत काल तक वेद अपने सत्यस्वरूप

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों को मानने और विश्व का उपकार करने की भावना के कारण आर्यसमाज विश्व का श्रेष्ठ संगठन है

ओ३म् ईश्वर एक सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ सत्ता है जबकि जीवात्मा एक एकदेशी, ससीम तथा अल्पज्ञ सत्ता है। अल्पज्ञ होने

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के उपकारों जानकर उसकी उपासना करना मुख्य कर्तव्य है

ओ३म् सभी मनुष्य सुख प्राप्ति की कामना करते हैं। इसके साथ ही जीवन में कभी दुःख प्राप्त न हों, इसके

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गुरुकुल शिक्षा प्रणाली मनुष्य जीवन का सर्वांगीण विकास होता है

ओ३म् गुरुकुल शिक्षा प्रणाली विश्व की सबसे प्राचीन शिक्षा प्रणाली है। महाभारत के समय तक इसी प्रणाली से लोग विद्याध्ययन

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमें दैनिक अग्निहोत्र यज्ञ कर अपने घर की वायु को सुगन्धित करना चाहिये

ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति में यज्ञ का प्रमुख स्थान है। यज्ञ किसी भी पवित्र व श्रेष्ठ कार्य करने को

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमें संसार के स्वामी ईश्वर की वेदाज्ञाओं का पालन करना चाहिये

ओ३म् हम परमात्मा के बनाये हुए इस संसार में रहते हैं। इस संसार के सूर्य, चन्द्र, पृथिवी सहित पृथिवी के

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हमें जन्मना-जाति के स्थान पर ज्ञानयुक्त वेदोक्त व्यवहार करने चाहियें

ओ३म् वैदिक धर्म के आधार ग्रन्थ वेदों में प्राचीन व सृष्टि के आरम्भ काल से जन्मना जाति का उल्लेख कहीं

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ से वेदों के सत्यस्वरूप का प्रचार हुआ

ओ३म् ऋषि दयानन्द के आगमन से पूर्व विश्व में लोगों को वेदों तथा ईश्वर सहित आत्मा एवं प्रकृति के सत्यस्वरूप

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ऋषि दयानन्द ने न्याय को दृष्टिगत पर सामाजिक सुधार कार्य किए

ओ३म् ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने अपना जीवन ईश्वर के सत्यस्वरूप तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपायों की खोज में

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