विविधता में एकता का सिद्धान्त क्या उचित है?
ओ३म् भारत अनेक मत-मतान्तरों, बहुभाषाओं, भिन्न-भिन्न रहन-सहन व परम्पराओं वाला देश है। एक ही मत में अनेक शाखायें भी
Read Moreओ३म् भारत अनेक मत-मतान्तरों, बहुभाषाओं, भिन्न-भिन्न रहन-सहन व परम्पराओं वाला देश है। एक ही मत में अनेक शाखायें भी
Read Moreओ३म् वर्ण व्यवस्था के सम्बन्ध में कहा जाता है कि संसार के तीन प्रमुख शत्रु हैं। प्रथम अज्ञान व
Read Moreओ३म् आज हिन्दी दिवस है। आज के ही दिन सन् 1949 में हमारी संविधान सभा ने हिन्दी को देश की
Read Moreओ३म् योगदर्शन महर्षि पतंजलि की मनष्यों को बहुत बड़ी देन है जो मनुष्यों को मनुष्य बनाने का प्रमुख साधन है।
Read Moreओ३म् हिन्दी दिवस के अवसर पर –आर्यसमाज, देहरादून में 11 सितम्बर, 1994 को दिया गया प्रवचन– 14 सितम्बर, 2016
Read Moreओ३म् हमने महात्मा आर्यभिक्षु जी को साक्षात् देखा है और स्थानीय वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में उनके प्रभावशाली अनेक
Read Moreओ३म् हम संसार के अन्य लोगों व प्राणी समूहों सहित अपने जन्म से इस सृष्टि वा संसार में रह
Read Moreओ३म् ईश्वर क्या है व ईश्वर किसे कहते हैं? यह एक साधारण मनुष्य का प्रश्न हो सकता है। इसका सरल
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द ने एक पौराणिक सनातनी परिवार में जन्म लेकर महामानव अर्थात् ऋषि व महर्षि बनने का एक महान
Read Moreओ३म् शांकर भाष्य-लोचन के लेखक पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय पुस्तक के पहले अध्याय ‘स्वप्न की मीमांसा और उसका शांकर मत में
Read More