Author: *डॉ. मनोहर लाल भण्डारी

हास्य व्यंग्य

डूबते जहाज के यात्रियों की मनोदशा, मरता क्या नहीं करता

यह कहानी मेरे परदादा ने मेरे दादाजी को सुनाई थी, दादाजी ने दादी को और दादी ने मुझे सुनाई थी,

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स्वास्थ्य

बारीश के दिनों में पत्तेदार सब्जियों से बचें

अपनी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करें और उन्हें अपने आचरण में भी लाएं, अपनी प्यारी संतानों को धन दौलत देना

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राजनीति

शिक्षानीति में सुधार हेतु कुछ सुझाव : शिक्षा मंत्री को पत्र

माननीय श्री प्रकाशजी जावड़ेकर मान. केन्द्रीय मंत्री मानव संसाधन विभाग भारत शासन, नईदिल्ली विषय – शिक्षानीति में सुधार, कुछ सुझाव

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हास्य व्यंग्य

आकस्मिक छापे में अधिकाँश के जेब में बोतलें निकली : गजब भयो रामा, जुलम भयो रे

सपना सुबह साढ़े चार बजे का था, मां कहती थी, जागने से ठीक पहले का सपना जल्दी ही सच होता

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