दिल्लगी
हम उनसे दिल लगा बैठे और उन्हें हमारी बातें दिल्लगी लगती हैं हमारी मोहब्बत झूठी और दुनिया क्यूँ सगी लगती
Read Moreजितना भूलने की कोशिश करता हूँ उतना ही अपनी यादों में पाता हूँ बता क्या करूं..कैसे जियूँ मैं तो तेरी
Read Moreसारे जग से है प्यारी मेरी जानवी बेटी लगती है प्यारी मेरी जानवी न दूंगा आने कभी तेरी आँख में
Read Moreडूबा हूँ उनके ही ख्यालों में जाने क्यों अजीब सी लालिमा है गालों में लटें उलझी हैं शायद बालों में
Read Moreप्यार तो वो भी करते हैं हमसे बस इकरार अभी बाकी है राहों में खड़े हैं कब से क्योंकि इंतज़ार
Read Moreबाबुल की दहलीज को जो न भूल पाये वो है बेटी जाते जाते भी आंसुओं से आंगन सींच जाए वो
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