गीत
मन का मकरन्द उड़ा कली -कली खिल गई ।हवाओं ने प्यार किया खुशबुएँ बिखर गईं।। भीगे -भीगे मौसम का सौंधापन
Read Moreहै सुबह सुंदर सुहानी मिट गया तम है। शीतला -सुरभित हवा के संग मौसम है।। भर रहा उर -ओज यह
Read Moreहमने तुम से जनाब पूछा है। देखते क्या हो ख़्वाब पूछा है।। आज वो आए मेरी महफ़िल में। बढ़ के
Read Moreहो रही प्रिय मिलन आतुर , लिख रही हूँ प्रणय पाती । प्रीत – पथ अनुगामिनी मैं , प्रीत ही
Read Moreसाँसों पर लिख नाम तुम्हारा मन ही मन में झूम लिया मोहना !!! तेरी छबि को मैंने चितवन से ही
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