आजादी भाग — १४
मन ही मन लगभग अपने आपको धिक्कारता हुआ राहुल उन तीनों के साथ चला जा रहा था । तीनों कुलांचे
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Read Moreबड़ी देर तक विनोद के पिताजी उसकी माँ के सामने उसके बारे में अनाप शनाप बयानबाजी करते रहे ।
Read Moreविजय ने कहना जारी रखा ” हाँ ! असलम भाई नाम है उनका लेकिन लोग उनको ‘ भाई ‘ कहकर
Read Moreमाना मुश्किल है डगर मगर जीवन संघर्ष है कहते हैं पथ में पग में छाले फूटें पर सत्य मार्ग पर
Read Moreसिपाही का झन्नाटेदार थप्पड़ विजय के लिए अप्रत्याशित ही था । उसकी आँखों के सामने तारे नाच उठे । एक
Read Moreकलुआ हरिजन पक्षाघात का शिकार होने के बाद पिछले तीन महीने से बिस्तर पर ही पड़ा था । परिवार में
Read More” लेकिन भाई ! वह मोटर तो बहुत बड़ा होगा न ? फिर हम लोग उसको कैसे उठा पाएंगे ?
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