बैंड बाजे के शोर में कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। हर कोई एक दूसरे से बात करते हुए ऐसे चीख रहा था जैसे पुराने लैंड लाइन पर एस टी डी कॉल पर बात हो रही हो। मंडप सज कर तैयार हो चुका था। नंदोई जी हलवाइयों को मेनू समझा रहे थे। ननद रानी […]
Author: डॉ. रत्ना मानिक
मैं डॉक्टर रत्ना मानिक जमशेदपुर की रहने वाली हूं मेरी शिक्षा यूपी के बलिया जिले से पूरी हुई है B.ed और पीएचडी मैंने रांची और कोल्हान यूनिवर्सिटी से पूरा किया है। जमशेदपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 18 सालों से हिंदी की शिक्षिका और विभाध्यक्ष हूं। सीबीएसई बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में अपने सेंटर की हेड एग्जामिनर भी हूं।
मेरे शोध का विषय है -- छायावादी कवियों के गद्य साहित्य का प्रवृत्ति मूलक अध्ययन
टेल्को, जमशेदपुर
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