/ वह जानता ही नहीं.. /
बकरे को उसने बड़ी दुलार से पाला – पोसा किया विश्वास की कोमल जगह पर उसे बलि चढ़ा दी निर्ममता
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Read Moreमेरे विचारों में शब्दों में कौन सा विष है जो हानि करता है दूसरों की मैं न्याय की बात करता
Read Moreमर्म नहीं, खुले में कर्म की बात करेंगे विश्व चेतना के साथ अपनी शक्ति को जोड़कर हम भी कुछ रचेंगे
Read Moreबनेंगे हम विश्व के अपनी कला को अपने साहित्य को अपने विचार को आदर के साथ लेते एक दूसरे के
Read Moreकबीरदास पहँचे हुए महात्मा, सच्चे समाज सुधारक थे । उन्होंने हिंदू, मुस्लिम धर्मों की मूढ़ांधता को, बाह्याडंबर को खंडन किया
Read Moreउड़ने दो मन को, अनंत आवरण में समन्वित रूप में अपना कुछ बनने दो, विचारों के जग में एकता हमारी
Read Moreअकेला कोई नहीं जी सकता इस दुनिया में एक दूसरे के सहयोग से ही बनती है जिंदगी समूहिक चेतना का
Read Moreअस्पताल में पलंग पर लेटा था मैं मेरी हालत को देख लहू सूख गया था मां का रोने में भी
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