कविता

क्या दोष है मेरा

मेरे विचारों में
शब्दों में
कौन सा विष है
जो हानि करता है दूसरों की
मैं न्याय की बात करता हूं
दलित की बात लिखता हूं
अग्रसर हूँ लोक कल्याण की दिशा में
समर्पित
लम्बी यात्रा
निरंतर श्रम हर दिन
थक जाता हूं
लेकिन आलस नहीं करता
पैसा पाने की दौड़ नहीं है मेरी
लालायित हूं
कुछ कर दिखाने को
समर्पण की बगिया में
मीठा फल बनने का
संकल्प के साथ चलता हूं
समता – ममता, भाईचारा
लोकमंगलकारी वचनों को
उच्चारित करते हुए
सार्थक करना चाहता हूं जीवन
मैं मानवधर्म को मानता हूँ
वैज्ञानिक सोच के साथ
विचारों का मेल करता हूं
क्या दोष है मेरा यदि
बुद्ध के सत्य,
अहिंसा, समभाव को
अपनाता हूं
सामाजिक समता और संतुलन के
महान विचारों के साथ
हर पल रहता हूं
क्या दोष है मेरा
क्यों मुश्किल है
अक्षरों का सांस लेना ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।