कविता

पिता

एक पिता के बारे में
कौन क्या लिख सकता है
जितना भी लिखा जाए
थोड़ा ही महसूस होता है
पिता पुत्र में अपना
भविष्य देखता
उसके जीवन में
जितने रंग भर सकता
सब उड़ेल देता
फिर बार बार निहारता
और कितना खूबसूरत
मैं इसे बना सकता
सारा जीवन गुज़ार देता
बस इसी उधेड़ बुन में
मेरे से ज्यादा बेहतर बने
सब अपनी इच्छाओं की
आहुति दे देता
इस हवन में
*ब्रजेश*

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020