/ परिवर्तन ।
कमी है इस दुनिया में स्वच्छा हवा, स्वच्छ जल संतुलित भोजन, सम विचार। आडंबर, चमक – धमक के मोह में
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Read Moreविरोधी लगता हूँ मैं अंध परंपरा के आवरण में ! सच को सच झूठ को झूठ बोलना, अंधा श्रद्धा के
Read Moreधर्म किसी का भी हो, उसका स्थाई रूप नहीं होता है। परिवर्तनशील जगत के साथ उसका परिवर्तन जरूर होता है।
Read Moreबच्चे की भावनाएँ जन्म के साथ होती हैं। वह अपनी माँ के पेट में ही बहुत कुछ सीखता है। परिवार
Read Moreबेटे की प्रतिभा हरेक पिता को लगती है अपनी प्रतिभा उस बेटे में पिता अपने आपको देखने लगते हैं कि
Read Moreबातों को छिपाकर चलना एक तरीका है जीने का अबोध के आवरण में खतरा भी है, भीतर और बाहर एक
Read More/ जाति मरेगी कैसे? / दलित शब्द के अर्थ को लेकर एक लंबी चर्चा कई सालों से चल रही है।
Read Moreपीड़ा थी मेरे सिर पर नींद आती है कहाँ स्मृति की रेखाएँ घिसने लगी हैं दर्द को मेरे दिल पर
Read Moreसबका विचार एक जैसा कभी नहीं होता, देश, काल, परिस्थितियाँ इंसान को चलाती हैं कोई ऊँच या नीच नहीं होता
Read More/ सच के आईने में.. / हाँ, गंदे हैं वे मट – मैले भरे रहते हैं बदबू आती है जिनके
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