/ आसान नहीं हैं दुनिया में चलना /
मनुष्य को चलाती है भूख और उससे बढ़कर चलाती है प्यास अपने अनुभव के बल पर बहुत कुछ सीखता है
Read Moreमनुष्य को चलाती है भूख और उससे बढ़कर चलाती है प्यास अपने अनुभव के बल पर बहुत कुछ सीखता है
Read Moreअगर मैं चलता हूँ तो कुछ लोग हंसने लगे, रूकता हूँ कहीं अशक्त तो रास्ते में पत्थर फेंकने लगे यदि
Read Moreसमाज में सभी लोग एक जैसे नहीं होते हैं। हरेक की अपनी विशिष्टता होती है। वह अपनी विशिष्टता की वजह
Read Moreजाति मत पूछो धर्म से मत देखो प्रांतीय भावना मत जोड़ो मानवता की हैं वह उस महान मूर्ति को शत
Read Moreमातापित्रोर्मलोद्भूतं मलमांसमयं वपुः। त्यक्त्वा चांडालवद् दूरं ब्रह्मीभूय कृती भवः।। (विवेकचूड़ामणि दूसरा भाग, श्लोक २८७) भगवद्गीता, उपनिषत् आदि धर्म ग्रंथों को
Read Moreअखंड बनो इस जग मेंं तृप्त नहीं होती इंद्रियाँ कभी इच्छाओं की शाखाएँ शांति नहीं देती हैं मन को अखंड
Read Moreजाति नहीं संघ बनो संगठित करो उनको जो दीन – दुःखित, पीड़ित हैं साथ लेकर आगे बढ़ो दबे – कुचले
Read Moreगरजते हैं मेघ चारों ओर घुमड़ -.घुमड़कर सारे आकाश में फैल जाते हैं पागल होकर बढ़ – बढ़कर गरजते हैं
Read Moreहंसनेवालों को हंसने दो यह नयी बात तो नहीं अपने रास्ते पर चलनेवालों को, मैं फिसलता हूँ, गिरता हूँ लड़खड़ाता
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