सम्मान की प्रतीक्षा
(१)क्षणिक सम्मान की प्रतीक्षा न करना,संवैधानिकता पर तुम सन्देह न करना।प्रेम परिभाषित सम्मान जहां हो जाय,वहां कभी प्रश्नवाचक संज्ञा न
Read More(१)क्षणिक सम्मान की प्रतीक्षा न करना,संवैधानिकता पर तुम सन्देह न करना।प्रेम परिभाषित सम्मान जहां हो जाय,वहां कभी प्रश्नवाचक संज्ञा न
Read Moreचांदनी बिखरी सुशोभितधरा को मोहित कर रही है।प्रकृति प्रेम से निर्मल कल्पितहृदय को झकझोर रही है।। अलौकिक नव अलंकृतआभूषणों सी
Read Moreसिमट गये अब मेघ भी,नहीं कहीं जल धार।प्रकृति में अब रही नहीं,मानों वो रस धार।।१।। चिंतित उपवन झुलस गये,चातक है
Read Moreतुम्हारे और मेरे बीच में,जरुर इक रिश्ता है।तुम्हारी संवेदनशीलतासे मैं भी क्रियान्वितहो जाती हूं।तुम्हारी संवेदना इकसन्देश दे जाती हैतिनकों की
Read Moreदूध भरी ये बालियां, उभरती लहरों सी। खिलती चहुं ओर कलियां, बसंत की महक सी।। गा रही वनों कोयले, यौवन
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