सावन
बीत गए वर्षों ये सावन भी गया ।बासन्ती रंगों का चोला भीग गया।गगन में दर्द भरे मेघों का शोर बढ़े।धरा
Read Moreसिमट गये अब मेघ भी,नहीं कहीं जल धार।प्रकृति में अब रही नहीं,मानों वो रस धार।।१।। चिंतित उपवन झुलस गये,चातक है
Read Moreतुम्हारे और मेरे बीच में,जरुर इक रिश्ता है।तुम्हारी संवेदनशीलतासे मैं भी क्रियान्वितहो जाती हूं।तुम्हारी संवेदना इकसन्देश दे जाती हैतिनकों की
Read Moreदूध भरी ये बालियां, उभरती लहरों सी। खिलती चहुं ओर कलियां, बसंत की महक सी।। गा रही वनों कोयले, यौवन
Read Moreप्रकृति तत्व है हिन्दी इसे तुम जानों वेद सारांश है हिन्दी इसे तुम मानों।।१।। जमीं से आसमां तक सार है
Read More