Author: सन्तोषी किमोठी वशिष्ठ

मुक्तक/दोहा

सम्मान की प्रतीक्षा

(१)क्षणिक सम्मान की प्रतीक्षा न करना,संवैधानिकता पर तुम सन्देह न करना।प्रेम परिभाषित सम्मान जहां हो जाय,वहां कभी प्रश्नवाचक संज्ञा न

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कविता

गौरैया की संवेदनशीलता

तुम्हारे और मेरे बीच में,जरुर इक रिश्ता है।तुम्हारी संवेदनशीलतासे मैं भी क्रियान्वितहो जाती हूं।तुम्हारी संवेदना इकसन्देश दे जाती हैतिनकों की

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