बदलाव
ढ़ाबे पर काम करते करते आज पांच साल हो गये थे| बंटी का व्योहार अब बदलने लगा था| मालिक डांट
Read Moreआज दिल कर रहा है कुछ याद करूँ अपने ही भूले-भटके हुये गुनाहों को खुद से ही फ़रियाद करूँ जो
Read Moreहमने ही बनाई यह सृष्टि हम ही है पिछड़े हमने ही सिखाया चलना हमे ही अब सिखा रहें हम मौन
Read Moreकमजोर हूँ तो क्या हुआ तुझे अपने कन्धों पर बिठा कर चल सकता हूँ , राह पर कोई कांटे बिछायें
Read Moreसच्चाई के लिए लड़ते हुए , खोया बहुत कुछ , पाया -पाया कुछ भी नहीं | फिर भी गर्व है
Read Moreबचा लिया मैंने जलती हुई अधजली औरत को पूरी जलने से अधजली इसलिए कि मैं उसकी करनी की उसे चाहती
Read Moreजो नहीं है उसको पाने की चाहत है, जो है उसको पाने का सकून नहीं | पाने की चाहत में
Read Moreकाटों पर ही चलना, अपना जुनून था, नफरत को प्यार से, जीत कर आया सुकून था | क्रोध के अग्नि
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